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Issue - 2025 Page No - 26
महाराष्ट्र की लोकधारा : ललित - परंपरा और भवितव्य
Author's Name : डॉ. विद्यासागर पाटंगणकर
Abstract :
महाराष्ट्र में लोकनाट्य की एक सशक्त परंपरा रही है । लोकनाट्य धर्मविधी से संबधित होने के कारण उसे विधिनाट्य के रूप में जाना जाता है । लोकोत्सव, धार्मिक समारोह में देवदेवताओं का पूजन - यात्रा, महोत्सव में विशिष्ट नियत तिथी, प्रसंग में वह मठ - मंदिरों में आयोजित होता है । उसके पीछे धार्मिक श्रध्दाभाव तथा मनोरंजन और तत्त्वज्ञान का प्रतिपादन यह हेतु लक्षित होते हैं । महाराष्ट्र में चली आयी यह परंपरा" ललित" कीर्तन में उचित रूपसे दिखायी देती है । जैसे की गोंधल, जागरण, बोहाडा, यक्षगान, नौटंकी, दशावतार प्रयोग यह लोकरंगभूमी के आविष्कार है, वैसेही" ललित" एक लोकरंगभूमी का प्राकट्य है । हिंदुस्थान के विभिन्न राज्यों में" ललित" की परंपरा विभिन्न नामों से प्रचलित हैं । जैसे मथुरामें ब्रजबिहार, बंगाल में कृष्णलीला नाट्य, कर्नाटक में भागवतनाटक आदी । महाराष्ट्र में" ललित" सादर करने की परंपरा मंदिर विशिष्ट है । देव देवताओंके उत्सव के अंत में" ललित" कीर्तन किया जाता है । उस ललित कीर्तन में लोक संस्कृती के उपासक तथा विभिन्न गानोपजीवी, परंपरागत व्यवसाय करनेवाले समाज के जनजातियों के लोगों का पेहराव कर उनकी भाषा में उनका रंगपीठपर सादरीकरण किया जाता है । जैसे की, दरवेशी, मुंढा, फकीर, दंडीगान, गोंधली, जोशी, गोसावी, महार, कैकाडी, जोगी आदी । यह ललित रात में शुरु होकर प्रातःकाल तक चलता है । और अंत में आरती प्रसाद होकर इसका समापन होता है । महाराष्ट्र में ललित परंपरा यह संतोंकी देन है । संत एकनाथ, संत दासोपंत, संत जनीजनार्दन, रामानंद, अच्युताश्रम आदी संतोंने ललित पदों की रचना कियी है । महाराष्ट्र के बीड, अंबाजोगाई, जालना ( अंबड ), राक्षसभुवन, केज, तलवडा, गोंदी, विडा, धाराशिव आदी गावो में यह परंपरा मौजूद है। ललित एक परंपरागत संस्कृतीका धरोहर है । महाराष्ट्र के लोकमानस का मंदिराधिष्ठित परंपराओंका सांस्कृतिक विरासत का वाहक है । देवतोओंके उत्सव प्रसंग में बहुरुपि या जैसे स्वांग रचाकर एक लीलानाट्य का सादरीकरण करना यह इसका स्वरूप है। ललित शब्द का तात्पर्य उत्सव के अंत में किया जाने वाला" लोकनाट्य" है । इसीलिए संत तुकाराम महाराज" गळीत झाली काया । हेचि लळित पंढरीराया" ( देह का गलितगात्र होना यही मेरा अंतिम स्वाँग है ) ऐसा कहते है ।
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