• +91 9999383641
  • info@loksambhashan.org.in
Issue - 2024 Page No - 84
कूटनीति और पर्यटन
डॉ भूपेंद्र कुमार साहू*
सारांश
देश की समृद्ध विरासत और विविध व्यंजनों का लाभ उठाकर भारत के ‘सॉफ्ट पावर’ को बढ़ाया जा सकता है तथा विदेशी राजस्व को आकर्षित किया जा सकता है। ऐसा कर भारत रोज़गार को बढ़ावा दे सकता है और असंगठित क्षेत्र को आकर्षित कर सकता है। भारत का ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का दर्शन बहुपक्षवाद का समर्थन करता है और पाक पर्यटन (culinary tourism) इस लोकाचार को प्रदर्शित कर सकता है। हाल की धर्मशाला घोषणा वैश्विक पर्यटन में भारत की संभावना को चिह्नित करता है और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देता है। पर्यटन और वैश्वीकरण परस्पर जुड़ी हुई घटनाएँ हैं जो हाल के दशकों में काफी विकसित हुई हैं। वैश्वीकरण का तात्पर्य प्रौद्योगिकी, संचार, परिवहन और व्यापार में प्रगति के कारण देशों और संस्कृतियों के बीच बढ़ती हुई परस्पर संबद्धता और अन्योन्याश्रयता से है। दूसरी ओर, पर्यटन में अवकाश, मनोरंजन, व्यवसाय या अन्य उद्देश्यों के लिए लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना शामिल है। जबकि वैश्वीकरण ने पर्यटन उद्योग के विकास को सुगम बनाया है, पर्यटन ने बदले में, दुनिया भर में लोगों, संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं को जोड़कर वैश्वीकरण के प्रसार में योगदान दिया है। हालाँकि, स्थानीय संस्कृतियों, पर्यावरण और समुदायों के लिए आर्थिक लाभ और संभावित नकारात्मक परिणामों दोनों पर विचार करते हुए, पर्यटन के प्रभावों को जिम्मेदारी से प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है।
Read Pdf