| Issue - 2023 | Page No - 104 |
| भारत की राष्ट्रीयता | |
| अरुण कुमार उपाध्याय | |
| सारांश : | |
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पुराण विणत जम्बू द्वीप तथा भारत वर्ष के विषय में बात प्रमुख है। पुराणों में जम्बू द्वीप सहित ७ द्वीप हैं जिनको अभी महादेश कहते हैं। इसके अतिरिक्त निजद्वीप अन्य द्वीप है। भारत वर्ष के ३ अर्थ हैं - (१) उत्तर गोल का चतुर्थांश - दोनों गोल का ४-४ खंड में बना था, (२) हिमालय को पूर्व पश्चिम समुद्र तक मिलाने पर उसके दक्षिण समुद्र तक भूमि, जिसके ९ खंड हैं। (३) केंद्रीय खंड, कुंमारीका या भारत। इसके विभिन्न नामों की व्याख्या की गई है। उद्यान स्रोत रूप में पृथ्वी को ४ समुद्रों से घिरी हुई गौ कहा गया है। उसका मुख उदायक देश भारत कामधेनु है, जिसकी जनजातियों का वर्णन पुराण में है। वर्ष का अर्थ वर्षा, क्षेत्र या संवत् तथा एक वर्ष का विस्तार है। इस रूप में भारत ही पूर्ण रूप से वर्ष है जो अति प्राचीन काल से सनातन राष्ट्र रहा है। भारत कई रूपों में देवी का, शिव का तथा आदिवासी रूप है। भारत के केंद्र से ८ दिशाएँ तथा कोण के अधिपति ८ दिक्पाल थे। संस्कृत विश्व भाषा होने पर भी यहां विभिन्नों के लिए विभिन्न लिपि तथा भाषाएँ बनीं। सिकंदर के समय तक यह धारा थी कि भारत में कोई बाहरी आक्रमणकारी नहीं आया। किंतु अंग्रेजों ने अपनी तरह भारतीयों को विदेशी सिद्ध करने के लिए प्रचार किया कि भारतीय बाहर से आए थे। ज्ञान का विकास दक्षिण से हुआ, परंतु प्रचार यह किया गया कि उत्तर भारत के आयर्योंने दक्षिण पर वेद थोप दिए। समुद्र मार्ग से अफ्रीका से जो आए थे, उन्हें मूल निवासी या आदिवासी तथा मूल भारतीयों को विदेशी रूप में प्रचारित किया गया।
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