| Issue - 2024 | Page No - 113 |
| पर्यटन कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध | |
| डॉ. अंशुल उपाध्याय* | |
| सारांश | |
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आज हमारी दुनिया युद्ध, धार्मिक संघर्ष, बीमारी और पलायन जैसे संकटों से जूझ रही है। इसलिए, राष्ट्रों या लोगों के बीच राजनीतिक अशांति या संघर्ष को खत्म करने या कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वार्ता का एक नया पैटर्न स्थापित करने की सख्त जरूरत है। वास्तव में, यह धारणा कि पर्यटन अंतर-सांस्कृतिक समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा दे सकता है, ने लंबे समय से पर्यटन को शांति के मार्ग के रूप में कूटनीतिक प्रवचन का आधार बनाया है। पर्यटन कूटनीति आधिकारिक स्तर पर शुरू हुई और अर्ध-आधिकारिक और नागरिक समूहों तक फैल गई। गैर-पारंपरिक कूटनीति (सार्वजनिक कूटनीति) के रूप में, कूटनीति के अर्ध-आधिकारिक और नागरिक स्तर आज के अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में तेजी से महत्वपूर्ण हो गए हैं; परिणामस्वरूप, कई अध्ययनों ने आधिकारिक पर्यटन कूटनीति को नजरअंदाज करते हुए केवल सार्वजनिक कूटनीति पर ध्यान केंद्रित किया है। पर अब पर्यटन कूटनीति के कार्य अधिक विविध हो गए हैं क्योंकि इसकी गहराई और चौड़ाई बढ़ी है। यह विविधता अंतराल को पाटने और गठबंधनों को मजबूत करने, अर्थव्यवस्था और नव-उपनिवेशवाद को बढ़ावा देने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और छवि निर्माण, और कूटनीतिक प्रतिशोध और समझ में सबसे अधिक दिखाई देती है।
आज पर्यटन दुनिया का सबसे बड़ा उद्योग बन गया है, जिसमें 2019 में दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन (रात भर के आगंतुक) में 4% की वृद्धि हुई है, जो 1.5 बिलियन तक पहुँच गया । इसलिए किसी देश की सार्वजनिक छवि को आकार देने में पर्यटन द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका को पहचानने की और, विषय वस्तु पर अधिक अंतर्दृष्टि रखने के साथ -साथ भविष्य में पर्यटन के विषय में गहन समझ के लिए कदम बढ़ाना अब अति आवशयक हो गया है । Read Pdf |
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