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Issue - 2025 Page No - 42
भारतीय विदेश नीति एवं पड़ोसी प्रथम की नीति पर हिन्‍द महासागरीय राजनीति का प्रभाव
Author's Name : डॉ. नियाज अहमद अन्सारी
सारांश :
अप्रैल 2025 में थाईलैंड में सम्‍पन्‍न हुए बिम्‍सटेक के 6 वें शिखर सम्‍मेलन में हिन्‍द महासागर से जुडे़ भारत एवं अन्‍य तटीय देशों के मध्‍य आपसी व्‍यापार के साथ ही सामुद्रिक सुरक्षा का प्रश्‍न भी छाया रहा । विश्‍व के तीसरे सबसे बड़ा महासागर के रूप में हिन्‍द महासागर वर्तमान भू-राजनीति के केन्‍द्र में आता जा रहा है । इस महासागर ने हमेशा न केवल भारत की सामुद्रिक सुरक्षा की है, बल्कि अन्‍तराष्‍ट्रीय व्‍यापार और सांस्‍कृतिक संबन्‍धों को भी मजबूत किया है । इसका क्षेत्रफल 74 मिलियन वर्ग किलोमीटर है और वर्तमान में इसके तटवर्ती देशों की संख्‍या 40 है । यह महासागर एशिया,अफ्रीका और आस्‍ट्रेलिया तीन महाद्वाीपों से घिरा हुआ है । पृथ्‍वी के सम्‍पूर्ण जलमंडल के 20 प्रतिशत भाग पर इसका विस्‍तार है ।1 अन्‍तराष्‍ट्रीय राजनीति में यह महासागर भू-राजनीतिक दृष्टि से सदैव चर्चित बना रहा है । आज भारत का लगभग 70 प्रतिशत तेल का आयात और 90 प्रतिशत अन्‍तराष्‍ट्रीय व्‍यापार इसके जलमार्ग से ही होता है । अत: हिन्‍द महासागरीय क्षेत्र में स्‍थायी शांति एवं सुरक्षा बनी रहने पर ही भारत अपने राष्‍ट्रहितों की पूर्ति हेतु इसका पूर्ण दोहन करके अपनी विकास यात्रा को सुरक्षा एवं व्‍यापार हेतु निर्बाध रूप से जारी रख सकता है । भारत ने 2023 में जी-20 के 17वें सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता सफलतापूर्वक करके विश्‍वभर को ‘ वसुधैव कुटुम्‍बकम ’ की अवधारणा से परिचित कराकर एक पृथ्‍वी, एक परिवार और एक भविष्‍य ( One Earth, One Family & One Future ) का प्रेरक सन्‍देश दिया है ।
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