आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हम राष्ट्रीय और
                      अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमेशा अहिंसा और "वसुधैव कुटुंबकम" के सिद्धांत
                      का पालन करते रहे हैं। आज के समय में पूरी दुनिया में संघर्ष और
                      अस्थिरता की परिस्थितियां बढ़ रही हैं। ऐसे में भारत पूरी दुनिया को एक
                      नई राह दिखा सकता है, जो लोकतंत्र और अहिंसा का रास्ता है। जब हम भारत
                      की विदेश नीति का मूल्यांकन करते हैं, तो हमें पता चलता है कि 2014 के
                      बाद से विदेश नीति के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आया है।
                      
                      
                      अब भारत वैश्विक स्तर पर एक सॉफ़्ट पावर (नरम शक्ति) के रूप में उभरा
                      है। परंपरागत रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शक्ति को हमेशा सैन्य और
                      आर्थिक शक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है। शक्ति के इस रूप को
                      हार्ड पावर के रूप में जाना जाता है। जोसेफ नाई ने अंतरराष्ट्रीय
                      संबंधों में सॉफ़्ट पावर को परिभाषित करने का प्रयास किया। नाई ने
                      सॉफ़्ट पावर (नरम शक्ति) के तीन स्तंभों का सुझाव दिया, जिन्हें
                      राजनीतिक मूल्य, संस्कृति और विदेश नीति के रूप में जाना जाता है।
                      
                      
                      सांस्कृतिक कूटनीति किसी देश की सॉफ़्ट पावर का एक महत्वपूर्ण आयाम है।
                      सांस्कृतिक क्षेत्र में भारत ने 2014 के बाद जबरदस्त काम किया। भारत
                      सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग को लोकप्रिय बनाया। अब पश्चिमी
                      देशों के साथ-साथ अरब देशों ने भी अपनी पाठ्यक्रम में योग को शामिल
                      किया है। 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय
                      योग दिवस के रूप में मान्यता दी। यूनेस्को ने कई भारतीय ऐतिहासिक
                      स्थलों को विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी है। वहीं, हमने विभिन्न
                      आपदा प्रबंधनों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सहभागिता को बढ़ावा दिया
                      तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को वैश्विक स्तर पर स्थिरता और शांति के
                      लिए साझी रणनीतिक प्रयासों और कूटनीतिक-राजनैतिक संवादों को जारी रखा।
                      
                      
                      भारत दुनिया में सबसे प्राचीन और महान संस्कृति वाला देश है। भारत अपनी
                      संस्कृति, सभ्यता और पारंपरिक ज्ञान के आधार पर विश्व गुरु बनने की राह
                      पर है। मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर नई शिक्षा नीति पेश की है। नई
                      शिक्षा नीति की खास बात यह है कि इसमें पारंपरिक ज्ञान को प्राथमिकता
                      दी गई है। भारत अपने पारंपरिक ज्ञान को पुनर्जीवित करके विश्व गुरु बन
                      सकता है। नई शिक्षा नीति भारत को विश्व गुरु बनने में मदद करेगी। आजकल
                      दुनिया का हर देश जलवायु से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहा है। हमारी
                      भारतीय संस्कृति हमेशा से प्रकृति के संरक्षण पर केंद्रित रही है।
                      सभ्यता के आरंभ से ही हम प्रकृति की पूजा करते आए हैं। अगर पूरी दुनिया
                      प्रकृति के संरक्षण के लिए भारत के पारंपरिक ज्ञान का अनुसरण करेगी, तो
                      हम जलवायु से जुड़ी समस्याओं से लड़ सकेंगे। विश्व समुदाय आज विकास,
                      शांति, और स्थिरता के सभी वैश्विक मंचों पर हमारी सहभागिता की अपेक्षा
                      रखता है।
                    
                      
                    
| Ram Mandir: The Legacy of Shri Ram and the Prathishta of Bharat | Page No.: 9 | 
| Analytical Mapping Of Trends In Unending Conflicts | Page No.: 21 | 
| National Security Imperatives Of Bharat: The China Factor | Page No.: 33 | 
| Intricacies Of Green Diplomacy And Sustainable Development In The 21st Century | Page No.: 51 | 
| माओवादी संघससग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा बल की मनोदशा: छत्तीसगढ़ की सुरक्षा के विशेष सन्दर्भ में | Page No.: 68 | 
| SUBSCRIPTION FORM | Page No.: 79 | 
| SUBSCRIPTION FORM | |
            
            
                        दक्षिण एशिया में भारत की रणनीतिक स्थिति इसे क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण
                        खिलाड़ी बनाती है। चीन और पाकिस्तान जैसे परमाणु हथियारों से लैस पड़ोसियों से घिरा भारत पारंपरिक
                        और हाइब्रिड दोनों प्रकार के खतरों का सामना करता है। चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और
                        पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) जैसे अनसुलझे सीमा विवाद तनाव के स्रोत बने हुए हैं। पूर्वी
                        लद्दाख में हालिया झड़पें और जम्मू-कश्मीर में चल रहा छद्म युद्ध मजबूत सैन्य तैयारी और कूटनीतिक
                        कौशल की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
                        इसके साथ ही, क्वाड के सदस्य के रूप में भारत की भूमिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसका विस्तार
                        बढ़ते चीनी प्रभाव का संतुलन साधने के उसके इरादे को दर्शाता है। हालांकि, इस रणनीतिक गठबंधन को
                        सावधानीपूर्वक प्रबंधित करना होगा ताकि किसी एक गुट पर अत्यधिक निर्भरता से बचा जा सके और भारत की
                        विदेश नीति स्वतंत्र और बहुआयामी बनी रहे।
                        आंतरिक रूप से, भारत आतंकवाद और विद्रोहों से लेकर सांप्रदायिक तनाव और साइबर खतरों तक की चुनौतियों
                        का सामना करता है। पूर्वोत्तर में विद्रोह और वामपंथी उग्रवाद काफी हद तक नियंत्रित हो गए हैं,
                        लेकिन ये अभी भी संभावित संकट के क्षेत्र बने हुए हैं। खासकर पाकिस्तान से होने वाला सीमा पार
                        आतंकवाद स्थिरता के लिए खतरा बना हुआ है।
                        इसके अलावा, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का बढ़ना भारत की सामाजिक संरचना के लिए एक गंभीर खतरा है, जो
                        इसकी राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न हिस्सा है। एक विभाजित समाज एक कमजोर समाज होता है; इसलिए, सद्भाव
                        को बढ़ावा देना नीति निर्माताओं के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।
                        भारत के तेजी से डिजिटलाइजेशन के साथ, साइबर क्षेत्र राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण घटक बन गया
                        है। महत्वपूर्ण ढांचों पर रैंसमवेयर हमलों से लेकर जासूसी और गलत सूचना अभियानों तक, साइबरस्पेस में
                        चुनौतियां व्यापक और बदलती हुई हैं। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति जैसे सुदृढ़ साइबर सुरक्षा
                        ढांचे बनाने पर सरकार का जोर सही दिशा में एक कदम है। हालांकि, इसे तेजी और व्यापकता के साथ लागू
                        करना होगा, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग शामिल हो।
                        ऊर्जा सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के साथ, भारत को अपने ऊर्जा स्रोतों में
                        विविधता लाने, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करने और अस्थिर तेल बाजारों पर निर्भरता कम करने की
                        आवश्यकता है। स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण न केवल एक पर्यावरणीय अनिवार्यता है बल्कि एक रणनीतिक
                        आवश्यकता भी है।
                        भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा को अलग-थलग दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता; इसके लिए एक समग्र
                        दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो सैन्य तैयारी, आर्थिक लचीलापन, सामाजिक एकता और तकनीकी नवाचार को
                        एकीकृत करे। नीति निर्माताओं को पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन बनाना
                        होगा, यह पहचानते हुए कि खतरे अब केवल युद्धक्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि साइबरस्पेस,
                        अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक स्वास्थ्य तक भी फैले हुए हैं।
                        गठबंधनों को मजबूत करना, नवाचार को प्रोत्साहित करना और आंतरिक कमजोरियों को दूर करना महत्वपूर्ण
                        होगा। सबसे बढ़कर, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी विकास और सुरक्षा रणनीतियां समावेशी,
                        न्यायसंगत और टिकाऊ हों। केवल तभी देश एक तेजी से आपस में जुड़े और जटिल विश्व में अपने भविष्य की
                        सही मायने में रक्षा कर सकेगा।
                    
                        
                    
| Title | Page No. | 
| REVISITING CUSTOMER ATTITUDES TOWARDS GREEN PRODUCTS IN THE CONTEXT OF A MAJOR EMERGING ECONOMY  | 
                        10-23 | 
| OCEANIC ODYSSEY: INDIA'S MARITIME TRAJECTORY AND THE FUTURE OF GLOBAL SECURITY IN THE INDIAN OCEAN  | 
                        24-37 | 
| THE ROLE OF GOVERNOR IN INDIA’S DE-COLONISED POLITY TODAY | 38-49 | 
| KAUTILYA’S SAPTANGA THEORY IN INDIA’S INTERNAL SECURITY | 50-63 | 
| INDIA'S CYBERSECURITY LANDSCAPE: CHALLENGES, STRATEGIES, AND  FUTURE PREPAREDNESS IN SAFEGUARDING NATIONAL SECURITY.  | 
                        64-73 | 
| भारत को खण्डित तथा दुर्बल करने के षड्यन्त्र | 74-83 | 
| SUBSCRIPTION FORM | 84 | 
| SUBSCRIPTION FORM | |
            
                
            
| BALOCH GENOCIDE, ETHNIC CLEANSING, ENFORCED DISAPPEARANCES BY PAKISTAN | Page No.: 10-43 | 
| Mir Khan Baloch | |
| ABSTRACT | |
| CO-OPERATIVE LEGISLATION IN GLOBAL & INDIAN CONTEXT | Page No.: 44-56 | 
| Dr. Mallika Kumar and Mr. Santosh Kumar | |
| ABSTRACT | |
| A STUDY OF BANKING SECTOR IN INDIA AND OVERVIEW OF PERFORMANCE OF INDIAN BANKS WITH REFERENCE TO NET INTEREST MARGIN AND MARKET CAPITALIZATION OF BANKS | Page No.: 57-66 | 
| Mr. Mohammad Lazib | |
| ABSTRACT | |
| FROM BEACHES TO BILATERAL RELATIONS: HOW SRI LANKA LEVERAGES TOURISM FOR NATIONAL INTERESTS | Page No.: 67-82 | 
| Dr. Harmanpreet Singh Sandhu | |
| ABSTRACT | |
| विखंडन के मुहाने पर खड़ा पाकिस्तान | Page No.: 83-100 | 
| डॉ. अंशुल उपाध्याय | |
| ABSTRACT | |
| REPRESENTATION OF VISUALLY IMPAIRED CHARACTERS IN VED MEHTA’S AUTOBIOGRAPHY FACE TO FACE | Page No.: 101-116 | 
| Dr. Akhilesh Kumar | |
| ABSTRACT | |
| UNDERSTANDING STUDENTS' PSYCHOLOGY TOWARDS THE USE OF DIGITAL PAYMENT SERVICES | Page No.: 117-124 | 
| Dr. Sandeep Kumar and Dr. Goutam Tanty | |
| ABSTRACT | |
| आर्म महकव्य में पर्यावरण चेतना | Page No.: 125-133 | 
| डॉ. अमित सिंह | |
| ABSTRACT | |
| राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच, वार्षिक आम बैठक (एजीएम रिपोर्ट) | Page No.: 134-143 | 
| Leena Michael | |
| ABSTRACT | |
| SUBSCRIPTION FORM | Page No.: 144 | 
| SUBSCRIPTION FORM | |
            
                
            भारत की भौगोलिक विविधता और विशालता (सांस्कृतिक और ऐतिहासिक) का वर्णन विष्णु पुराण में इस प्रकार किया गया है,
अर्थात् समुद्र के उत्तर और बर्फीले पहाड़ों के दक्षिण में स्थित देश को भारत के रूप में माना जाता है और यहीं राजा भरत के वंशज रहते हैं । वास्तव में, भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधताएँ लोकप्रिय कहावत -
            (अर्थात् पानी का स्वाद हर एक मील के बाद बदलता है, जबकि बोली
            हर चार मील के बाद बदलती है) में प्रतिध्वनित होती है । भारत
            की भौगोलिक विविधता, संस्कृति, परंपरा और दीर्घकालिक विरासत
            उसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाती है । अंतर्राष्ट्रीय
            संबंधों और कूटनीति के संदर्भ में पर्यटन की अवधारणा को फिर से
            परिभाषित करने की आवश्यकता है । दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रों
            में सांस्कृतिक पर्यटन और साझा संस्कृति तथा विरासत के विस्तार
            की काफी संभावनाएं हैं । इन दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में
            भारतीय संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं फलस्वरूप विभिन्न
            भौगोलिक विभिन्नताओं के उपरांत भी यहाँ के समुदायों के बीच
            सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आदान-प्रदान होता रहा है । वास्तव में,
            गिरमिटिया जैसे समुदाय, जिन्हें उपनिवेशवादियों द्वारा फिजी,
            ब्रिटिश गुयाना, नेटाल (दक्षिण अफ्रीका) इत्यादि देशों में ले
            जाया गया और वहाँ के बागानों में काम करने के लिए मजबूर किया
            गया । उन्हें वहाँ उस उजाड़ और सांस्कृतिक परिवेश में रहना
            पड़ा, उन्हें वहाँ स्वतंत्रता और मजबूत सांस्कृतिक पहचान के
            अभाव को भी सहना पड़ा । धीरे-धीरे इन देशों में उन्होंने अपनी
            सभ्यता एवं संस्कृति का नींव रखी और आज वहाँ भारतीय सभ्यता एवं
            संस्कृति फल-फूल रही है । इन देशों के अतिरिक्त बहुत से ऐसे भी
            देश है जो भारतीय संस्कृति से प्रभावित है ।
            पिछले दशक में, सरकार ने भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए अपने
            नागरिकों में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक चेतना जगाने के लिए अथक
            प्रयास किया है । उत्तराखंड (देवभूमि), लक्षद्वीप और अरुणाचल
            प्रदेश में सांस्कृतिक और विरासत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए
            सरकार की तरफ से पहल भारतीय पर्यटन को बढ़ावा देने में निर्णायक
            भूमिका निभा सकती है, जिससे भारत की सांस्कृतिक विकास के
            साथ-साथ आर्थिक विकास भी जोर पकड़ेगा । यह बिना किसी संघर्ष या
            शक्ति के प्रयोग के ही देश के आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए
            व्यापक अवसर प्रदान कर सकता है । उदाहरण के लिए, सारनाथ,
            बोध-गया, वैशाली और नालंदा जैसे बौद्ध पर्यटन स्थल दुनिया भर
            में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं ।
            विदेश नीति के अंतर्गत आंतरिक संबंधों के दृष्टिकोण से, ये
            स्थान दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों और अन्य बौद्ध बहुल राष्ट्रों
            अथवा समुदायों के साथ हमारे सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने
            के लिए क्षेत्रीय केंद्र (सॉफ्ट पावर सेंटर) के रूप में कार्य
            कर सकते हैं । कूटनीति अब केवल सरकारी मशीनरी से जुड़ी नहीं
            है, अपितु वर्तमान परिदृश्य में यह समाज के विभिन्न स्तरों तक
            पहुंच गई है । पर्यटन ने छोटे गांवों, स्थलों और दूरदराज के
            क्षेत्रों को राष्ट्रीय विकास में सक्रिय भागीदार बनाकर
            सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है । पिछले कुछ वर्षों
            में, पर्यटन के क्षेत्र में व्यापक बदलाव आया है और कुछ देशों
            की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से इस क्षेत्र पर निर्भर करती है ।
            
            भारत सांस्कृतिक धरोहर का भंडार है । अन्य देशों के इतिहास का
            ज्ञान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापक
            सांस्कृतिक-संबंध) बेहतर अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए पर्यटन
            को बढ़ावा देने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है । इसके लिए
            विभिन्न चुनौतियों का समाधान कर एक मजबूत सांस्कृतिक पहचान के
            साथ दीर्घकालिक पर्यटन विकसित करना है । समय की मांग है कि
            पर्यटन के कूटनीतिक पहलू को समझा जाए और दक्षिण-पूर्व एशियाई
            देशों के साथ मजबूत संबंध बनाई जाए । साझा सांस्कृतिक
            स्मृतियों को फिर से जगाने से सांस्कृतिक संपत्तियों का विकास
            होगा, जिसमें इन देशों के लाखों लोगों के जीवन को बदलने की
            क्षमता है । आज शिक्षाविदों, विद्वानों, सामाजिक विचारकों और
            अन्य हितधारकों को इस पर संवाद शुरू करने की आवश्यकता है, जो
            नयी बदलती हुई बहुध्रुवीय वैश्विक-संरचना में भू-राजनीतिक
            संबंधों को और भी सशक्त बनाने की एक पहल होगी । आवश्यकता है एक
            शैक्षणिक चर्चा एवं प्रशिक्षण रूप में पर्यटन कूटनीति को
            बढ़ावा देने की ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोक-संबंधों को
            सांस्कृतिक व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में सतत व्यापक गहराई दी जा
            सके ।
        
            
        
| BHARAT’S TOURISM DIPLOMACY: BRIDGING CONNECTIONS WITH SOUTHEAST ASIA | Page No.: 11-25 | 
| Dr. Ritesh Kumar Rai | |
| ABSTRACT | |
| BUDDHIST CIRCUITS IN NORTHEAST INDIA: A PILLAR OF TOURISM DIPLOMACY | Page No.: 26-38 | 
| Dr. Sarvsureshth Dhammi | |
| ABSTRACT | |
| CULTURAL TOURISM AS A TOOL OF SOFT POWER: A STUDY OF INDIA’S ENGAGEMENT WITH SOUTHEAST ASIA SINCE 2014 | Page No.: 39-54 | 
| Harsh Aaryan | |
| ABSTRACT | |
| बौद्ध धर्म एवं सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर : भारत और चीन | Page No.: 55-63 | 
| हिमांशु द्विवेदी | |
| ABSTRACT | |
| TOURISM DIPLOMACY IN INDIA | Page No.: 64-83 | 
| Dr. Sheereen Saleem and Dr. Firoj Ahamad | |
| ABSTRACT | |
| कूटनीति और पर्यटन | Page No.: 84-91 | 
| डॉ भूपेंद्र कुमार साहू | |
| ABSTRACT | |
| पर्यटन कूटनीति भारतीय ज्ञान परंपरा का वैश्विक आग्रह | Page No.: 92-102 | 
| अमित त्यागी | |
| ABSTRACT | |
| HYBRID WARFARE AND THE CROSS TRAINED THEATRE OF COMMAND | Page No.: 103-112 | 
| Alok Vijayant | |
| ABSTRACT | |
| पर्यटन कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध | Page No.: 113-125 | 
| डॉ. अंशुल उपाध्याय | |
| ABSTRACT | |
| TOURISM DIPLOMACY: INDIA CHINA MALDIVES AND USE OF SOFT POWER | Page No.: 126-143 | 
| Dr. Shakeel Husain | |
| ABSTRACT | |
| SUBSCRIPTION FORM | Page No.: 144 | 
| SUBSCRIPTION FORM | |